इस वर्ष छत्तीसगढ़ की स्थापना के 21 वर्ष पूरे होने जा रहें। इन 21 सालों में छत्तीसगढ़ की राजनीति ने कई उतार – चढ़ाव देखे हैं। छत्तीसगढ़ में कई महान शख्सियतों ने जन्म लिया, कई नेता बने, कई नेताओं ने अपनी गहरी छाप छोड़ी है।
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत जोगी से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक तीन मुख्यमंत्री हुए। तीनों ने ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाई। लेकिन नक्सली हिंसा में छत्तीसगढ़ ने कई बड़े नेताओं को खोया भी है। कई आंदोलन हुए, कई दांव पेंच खेले गए, कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए, कई सीडी कांड के खुलासे हुए। लेकिन छत्तीसगढ़ जस का तस है।
15 साल की सत्ता खोने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह भी अब बैकफुट पर नज़र आ रहे हैं। भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल अपनी पकड़ बनाए रखने में अब तक कामयाब रहे हैं। भाजपा सांसद विजय बघेल लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक वोटों के अंतराल से जीत कर अपना लोहा मनवा चुके हैं। अजीत जोगी जी की मृत्यु के बाद उनकी पार्टी, जनता कांग्रेस अब नेतृत्व विहीन हो चुकी है उनके अपनी ही पार्टी के विधायक अब आंख दिखाने लगे हैं जिसका उदाहरण मरवाही उपचुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में देखा है।
कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत से विजयी होने के बाद, आज ढाई साल से ज्यादा वक्त के बाद भी मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में व्यस्त है। अब तो यह नौबत आ गई है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पार्टी के पदाधिकारी, निगम मंडलों के अध्यक्ष और सदस्य, महापौर और 50 से ज्यादा विधायक दिल्ली में हाईकमान के सामने शक्ति प्रदर्शन भी कर आए हैं जिससे कांग्रेस पार्टी की छवि राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हुई है।
इधर सरगुजा महाराज और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव लगातार दिल्ली में अपने पैर जमाए हुए हैं जिससे बघेल खेमे की धड़कने बढ़ी हुई हैं। सरगुजा महाराज ने अपने बयान पर अडिग होते हुए केवल हाईकमान पर विश्वास और अपनी आस्था प्रकट की है और कहा है कि मुख्यमंत्री बदलने का निर्णय पार्टी आलाकमान के पास सुरक्षित है, व जीवन में अगर कुछ स्थाई है, तो वो है परिवर्तन।
इधर विधानसभा चुनाव 2023 के लिए जोगी कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है और प्रदेश भर में लोगों को जोड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि की कुछ दिन पहले डॉ रेणु जोगी और सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद, जोगी कांग्रेस का कांग्रेस में विलय की बातें सामने आ रही थीं जिसे पार्टी के नेताओं ने सिरे से ख़ारिज कर दिया।
हालांकि की कुछ सूत्रों का कहना है कि अगर टी एस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनते हैं तो उसके बाद यह निर्णय संभव है। लेकिन जनता कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता पार्टी को नई दिशा देने में जुटे हुए हैं। उधर भारतीय जनता पार्टी ने दबे पाव गांव – गांव जाकर लोगों से मेल मुलाकातों और सभाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है। आज से ही बस्तर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का भी आयोजन भाजपा ने शुरू कर दिया है जिसमें गोपनीयता का पूरा ख्याल रखा जा रहा है।
स्वराज मिशन के सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी बड़े ही सुनियोजित तरीके से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है जिनका लक्ष्य 70 से ज्यादा सीटें हासिल करने का है।
अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जोगी कांग्रेस में से कौन जनता के विश्वास पर खरा उतर पाता है, लेकिन कुछ भी हो अगले ढाई साल छत्तीसगढ़ की राजनीति के लिए बहुत कठिन रहेंगे।