सनातन धर्म का युद्धस्तर पर प्रचार प्रसार करते हुए, तमाम कथावाचकों के मध्य तीव्र गति से उभरते हुए कथावाचक डॉ अशोक हरिवंश (जिन्हें लोग भैयाजी के नाम से जानते हैं), ने तेंदुआ धाम में चल रही कथा “हनुमंत के राम” में ‘सुंदरकांड सुंदर क्यों है‘ को विस्तृत रूप से लोगों को बतलाया। इस विषय पर शीघ्र ही स्वराज मिशन का एक विस्तृत साक्षात्कार होगा किंतु विशेष बात यह है कि उन्होंने अपनी कथा के माध्यम से जनमानस को एक बड़ा संदेश दिया है।
भैयाजी ने हजारों की संख्या में उपस्थित श्रोताओं को शपथ दिलाई कि इस ब्रह्मांड के प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में पूजा स्थल पर श्रीरामचरितमानस अवश्य रखना है क्योंकि यह एक ऐसा प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शन है जिससे मानव जीवन के प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर सहजता से अनायास ही मिल जाते हैं। कथा के समय इस संदेश का ऐसा प्रभाव देखने को मिला कि वहाँ उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति ने अपने हाथ ऊपर उठकर प्रभु श्रीराम और सनातन धर्म के साथ ही, पद्म विभूषण जगतगुरु श्री रामभद्राचार्य के जयकारों का उद्घोष किया।
साथ ही उन्होंने स्वराज मिशन को बताया कि श्री राघव सेवा समिति की ओर से एक पुस्तिका भी तैयार की गई है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति एक मंत्र लिखेगा। वह इस मंत्र को अपनी क्षमता के अनुरूप लिख सकता है, उदाहरण स्वरूप 1 बार, 10 बार, 100 बार, 1000 बार, 10000 हजार बार, 100000 बार या फिर उससे भी अधिक बार। अगर कोई चाहे तो वह इस पुस्तिका को अन्य लोगों से भी भरवा सकता है। भैयाजी के अनुसार इसका तात्पर्य है, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराना। मंत्र है, ॐ नमो राघवाय।
कुछ भी कहें भैयाजी के धर्म के प्रचार-प्रसार का यह तरीका बहुत ही रोचक और अनोखा है। धर्म के प्रति भैया जी का यह सर्वस्व त्याग और समर्पण, छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु पूरे देश और सम्पूर्ण विश्व के लिए एक बड़ा उदाहरण है।