कई दिनों तक चल रहे सियासी तूफ़ान के बाद कांग्रेस आलाकमान ने आखिरकार पंजाब में काँग्रेस के भीतर चल रहे अंतर्कलह को खत्म करते हुए नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने की अहम जिम्मेदारी दे दी है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रही खींचतान को कांग्रेस आलाकमान ने अपनी सूझबूझ से खत्म कर दिया है।
काँग्रेस महासचिव हरीश रावत को कांग्रेस आलाकमान ने अपने दूत के रूप में पंजाब भेजा। उधर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस गंभीर समस्या को कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से राय मशवरा कर कैप्टन अमरिंदर और सिद्धू के बीच तालमेल बैठाकर एक अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष का फार्मूला दिया।
पंजाब का मैटर सुलझने के साथ ही एक बार फिर छत्तीसगढ़ के मैटर पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। आने वाले दिनों में देखना रोचक होगा कि कांग्रेस आलाकमान की सूझबूझ पंजाब के बाद अब छत्तीसगढ़ में कैसे काम करती है।
सूत्रों की मानें तो पंजाब के इस सियासी घमासान को समझने के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी ने अपने एक विश्वासपात्र व्यक्ति को कई दिनों से बैठा रखा था, जिसका नतीजा आज दिखाई दिया है।
क्या छत्तीसगढ़ के तथाकथित ढाई-ढाई साल वाले मैटर का हल निकालने के लिए भी सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा कुछ नई रणनीति पर कार्यरत हैं? सूत्रों के संकेत तो इसी ओर हैं।