रायपुर, छत्तीसगढ़- 30 अप्रैल 2024 –
देश के आम चुनाव अर्थात् लोकसभा की सरगर्मियां ज़ोरों पर हैं। देश में ग्रीष्म ऋतु की तपिश से कहीं अधिक चुनाव की तपिश का आभास हो रहा है। आरोप-प्रत्यारोप के दौर में फेक वीडियियोज़ और नेताओं की बयानबाजी देश की मीडिया में सुर्खियाँ बटोर रही हैं। ऐसे में कुछ जगहों पर प्रत्याशियों के नामांकन वापसी से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अभी से जीत दर्ज कर चुके हैं।
छत्तीसगढ़ भी लोकसभा चुनाव की तपिश से अछूता नहीं है। यहाँ वर्ष 2019 में कुल 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास 09 और कांग्रेस के पास 02 सीटें मिली थीं। विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस को 90 में से 68 सीटों पर विजय प्राप्त करने के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा था कि लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में क्लीन स्वीप करेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
विधानसभा चुनाव 2023 में छत्तीसगढ़ की जनता ने एक चौकाने वाला निर्णय लिया और कांग्रेस की सरकार को पांच साल में ही बदल कर भाजपा को पुनः अवसर प्रदान किया।
अब लोकसभा चुनाव 2024 में जनता किसे चुनती है वह तो 04 जून को पता चल जाएगा लेकिन जनमानस में आम चर्चा के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुछ सीटों पर जीत के लिए नहीं बल्कि लीड के लिए लड़ाई है।
ऐसी ही एक सीट रायपुर की है क्योंकि विधानसभा चुनाव 2023 में रायपुर दक्षिण विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। उन्होंने लगभग 68000 मतों की मार्जिन से कांग्रेस के प्रत्याशी को हराया। इसके बाद छत्तीसगढ़ के भाजपा सरकार में वह पुनः मंत्री बने लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी ने एक चौंकाने वाले निर्णय के तहत बृजमोहन अग्रवाल को ही लोकसभा रायपुर का प्रत्याशी बना दिया।
इसके बाद अब यह अनुमान लगाया जा रहा है की क्या भाजपा नेता बृजमोहन, विधानसभा चुनाव जैसा ही लोकसभा चुनाव में भी ऐतिहासिक मार्जिन से जीतेंगे?
दूसरी ओर यदि कांग्रेस के प्रत्याशी की बात करें तो विकास उपाध्याय विधानसभा चुनाव 2023 में रायपुर पश्चिम में भाजपा के राजेश मूणत से हार गए थे जिन्हें उन्होंने 2018 में हराया था और यह भी अप्रत्याशित था। अब कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ़ चुनाव में उतारा है जिसको देखते हुए अब जनता यह अनुमान लगा रही है की बृजमोहन अग्रवाल के कद के सामने क्या विकास उपाध्याय टिक पाएंगे?
अब सब कुछ जनता के हाथ में है। जो भी जीते या जो भी हारे, यह देखना दिलचस्प होगा कि रायपुर लोकसभा सीट पर जीतने वाले प्रत्याशी की लीड कितनी होती है?
यक्ष प्रश्न अब यह है कि रायपुर के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ में क्या मोदी की गारंटी चलेगी या स्थानीय नेताओं का अपना वर्चस्व होगा?